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बैंक 'द कुंभकोणम बैंक लिमिटेड' का संचालन 31st अक्टूबर, 1904 को लिमिटेड कंपनी के रूप में शुरू किया गया था. एसोसिएशन का पहला मेमोरेंडम कुंभकोणम के बीस समर्पित और महत्वपूर्ण नागरिकों ने साइन किया था, जिसमें सर्वश्री आर. संतानाम अय्यर, एस. कृष्णा अय्यर, वी. कृष्णास्वामी अयेंगर और टी. एस. राघवाचार्य शामिल थे. टी. एस. राघवाचार्य बैंक के प्रथम एजेंट थे. 1908 में उनका स्थान श्री आर. संतानाम अय्यर ने लिया, जो एसोसिएशन के संसोधित आर्टिकल के तहत बैंक के सेक्रेटरी बनें और उन्होंने अपनी मृत्यु, 1926 तक इस पद पर अपनी सर्विस प्रदान की, एसोसिएशन के आर्टिकल में बैंक के मैनेजमेंट को संभालने के लिए एजेंट के स्थान पर सेक्रेटरी का पद बनाने के लिए संशोधन किया गया था. श्री आर. संतानाम अय्यर की जगह श्री एस महालिंगा अय्यर ने ली. श्री एस महालिंगा अय्यर 1929 में आर्टिकल में संशोधन होने के बाद पहले पूर्णकालिक मैनेजिंग डायरेक्टर बनें. उन्होंने बतौर सेक्रेटरी 1926 से लेकर 1929 तक और बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर 1929 से लेकर 1963 तक अपनी सर्विस प्रदान की.
शुरुआत में बैंक ने क्षेत्रीय बैंक की भूमिका को प्राथमिकता दी और धीरे-धीरे लेकिन निरंतर प्रयास से इसने डेल्टा जिला के तंजावुर में अपनी जगह बनाई. बैंक की प्रथम ब्रांच 24th जनवरी, 1930 को मन्नारगुड़ी में खोली गई थी. इसके बाद पच्चीस वर्ष में नागपट्टीनम, सन्नानल्लूर, अय्यमपेट, तिरुक्काट्टूपल्ली, तिरुवारुर, मनप्पारई, मयूरम और पोरायर में ब्रांचेस खोली गईं. यह बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची में 22nd मार्च, 1945 में शामिल हुआ था.
बैंक ने अपनी स्वर्ण जयंती 14th नवंबर, 1954 को कुंभकोणम में श्री सी. आर. श्रीनिवासन, 'स्वदेशमित्रण' के एडिटर और भारतीय रिज़र्व बैंक के डायरेक्टर, की अध्यक्षता में मनाई थी.
1957 में, इस बैंक ने कॉमन वेल्थ बैंक लिमिटेड के परिसंपत्तियों व देनदारियों का अधिग्रहण किया और इस प्रक्रिया में कॉमन वेल्थ बैंक लिमिटेड की पांच ब्रांच आडुदुरई, कुडवासल, वलंगईमन, जयंकोंडचोलपुरम और अरियलूर पर अपना आधिपत्य स्थापित किया.
1963 में, श्री आर. ए. वेंकटरमनी अय्यर ने बैंक के चेयरमैन पद का कार्यभार संभाला, इस पद पर उन्होंने वर्ष 1969 तक अपनी सर्विस प्रदान की.
अप्रैल, 1965 में, दो अन्य स्थानीय बैंक, 'द सिटी फॉरवर्ड बैंक लिमिटेड' और 'द यूनियन बैंक लिमिटेड' का विलय की एक स्कीम के तहत इस बैंक में विलय हो गया, जिसके परिणामस्वरूप छः ब्रांच, कुंभकोणम-टाउन, नन्नीलम, कोरडाचेरी, तिरुविडईमारुडूर, तिरुप्पडांल, कुट्रालम जुड़ गई. फलस्वरूप बैंक का नाम बदल कर 'द कुंभकोणम सिटी यूनियन बैंक लिमिटेड' कर दिया गया'.
नवंबर, 1965 में बैंक की मद्रास में पहली ब्रांच तियागराया नगर में खोली गई. मई, 1969 में बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अधिकारी श्री ओ. आर. श्रीनिवासन की चेयरमैन और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के पद पर सर्विस ली, जो कि बैंक के घटनाक्रम में एक टर्निंग प्वॉइंट साबित हुई. नए मैनेजमेंट से ब्रांच के विस्तार पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ा और मार्च, 1968 से अगस्त, 1973 के बीच एरावंचेरी, सेम्बानारकोइल, तिरुचिरापल्ली, मदुरई, तंजावुर, डिंडुक्कल, खीलपालुर तिरुमक्कोट्टई, कोटूर, तिरुवारुर टाउन और कोयम्बटूर में ब्रांच खोली गई.
अप्रैल, 1974 में बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व सीनियर ऑफिसर श्री के. श्रीनिवासन को सेक्रेटरी पद का कार्यभार प्रदान किया. उसी समय कुंभकोणम के पास तिप्पीराजपुरम गांव के युवा चार्टर्ड अकाउंटेंट, श्री वी. नारायणन को बैंक का असिस्टेंट सेक्रेटरी नियुक्त किया गया.
इस अवधि 1974-1976 के दौरान पेरियकुलम, मंदवेली (मद्रास), पट्टूकोट्टई, त्रिपलीकेन (मद्रास), कडलूर, पुडुकोट्टई, चिदंबरम और सलेम में ब्रांचेस खोली गई.
श्री ओ. आर. श्रीनिवासन के जून, 1977 में पद त्यागने के बाद, सेक्रेटरी श्री. के. श्रीनिवासन को चेयरमैन और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर नियुक्त किया गया और तक असिस्टेंट सेक्रेटरी श्री वी. नारायण को पदोन्नत कर सेक्रेटरी बनाया गया.
जुलाई,1977 से लेकर सितंबर,1979 तक बैंक ने दस नई ब्रांच खोली, जिसमें जार्ज टाउन (मद्रास), माउंट रोड (मद्रास), तिरुनेलवेली और कारईकुड़ी शामिल हैं.
बैंक ने अपनी प्लेटिनम जुबली 9th दिसंबर, 1979 को कुंभकोणम में मनाई थी, इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. राजा सर एम. ए. मुथैया चेत्तीयार, श्री जी. रंगासामी मूपनार, श्री कोसी. मणि और श्री एम. वी. अरुणाचलम ने शिरकत की थी.
नवंबर, 1980 में तत्कालीन सेक्रेटरी श्री के. श्रीनिवासन का कार्यकाल पूरा होने के बाद सेक्रेटरी श्री वी. नारायण ने भारतीय रिज़र्व बैंक की स्वीकृति के साथ चेयरमैन और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर पद का कार्यभार संभाला. इस घटना ने बैंक के इतिहास में स्वर्ण युग का आरंभ किया.
तमिलनाडु राज्य के बाहर सबसे पहली ब्रांच सितंबर, 1980 में कर्नाटक के सुल्तानपेट, बेंगलुरु में खुली थी. आंध्र प्रदेश के दो शहरों हैदराबाद और सिकंदराबाद में भी ब्रांचेस खोली गई. बैंक की राष्ट्रीय छवि को ध्यान में रखते हुए बैंक का नाम बदलकर 'सिटी यूनियन बैंक लिमिटेड' कर दिया गया, जो दिसंबर, 1987 में प्रभावी हुआ.
बैंक ने 21st अगस्त, 1989 को कुंभकोणम में अपना स्टाफ ट्रेनिंग कॉलेज शुरू किया, जिसका उद्देश्य अपने स्टाफ मेंबर को कैडर में विभाजित किए बिना आवश्यकता आधारित और रिजल्ट ओरिएंटेड ट्रेनिंग प्रदान करना है.
बैंक की फाइनेंशियल ताकत, मैनेजमेंट क्षमता और इसकी गतिविधियों के सभी क्षेत्रों की निरंतर प्रगति देखते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने फॉरेन एक्सचेंज बिज़नेस में खरीद-बिक्री करने के लिए अधिकृत डीलर लाइसेंस प्रदान किया, जो अक्टूबर, 1990 से प्रभावी था.
इस बैंक में कंप्यूटर के इस्तेमाल की शुरुआत वर्ष 1990 में हुई और अब तक सभी ब्रांच कंप्यूटरीकृत हो गई हैं. बैंक ने कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस [CBS] के लिए टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ लिमिटेड से समझौता किया है और अब तक सभी ब्रांच को कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस [CBS] के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है.
ऑटोमेटेड टेलर मशीन (ATM) चुनिंदा केंद्रों पर इंस्टॉल की गई है, इससे कॉर्ड होल्डर कैश निकाल सकते हैं, बैलेंस संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अकाउंट का स्टेटमेंट प्राप्त कर सकते हैं
बतौर कॉर्पोरेट एजेंट बड़े स्तर पर जनता को इंश्योरेंस प्रोडक्ट बेचने और वैल्यू एडेड सर्विस प्रदान करने के लिए बैंक ने इंश्योरेंस रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDA) से लाइसेंस प्राप्त किया. बैंक ने अपने इंश्योरेंस प्रोडक्ट को बेचने के लिए लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ सहमति ज्ञापन में शामिल हुआ.
बैंक ने अपनी शाखा के जरिए एक्सपोर्ट क्रेडिट इंश्योरेंस की मार्केटिंग के लिए एक्सपोर्ट क्रेडिट और गारंटी कॉर्पोरेशन के साथ समझौता किया है.
बैंक ने विदेश से तेज और प्रभावी फंड रेमिटेंस के लिए मनी ट्रांसफर स्कीम के तहत मेसर्स UAE एक्सचेंज एंड फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड, ICICI, दोहा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया से फ्रेंचाइज़ी समझौता भी किया है .
बैंक ने नेशनल नेशनल सिक्योरिटीज़ डिपॉज़िटरी लिमिटेड के तहत डिपॉज़िटरी भागीदार के रूप में कार्य करने का लाइसेंस प्राप्त किया.
इस बैंक का शताब्दी वर्ष समारोह की शुरुआत 27th दिसंबर, 2003 में सरस्वती पाठशाला हायर सेकेंडरी स्कूल ग्राउंड, कुंभकोणम से हुई थी, जिसकी अध्यक्षता भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री आर. वेंकटरमण, सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली के न्यायाधीश डॉ. ए. आर. लक्ष्मण ने की और विशिष्ट अतिथि के रूप में IRDA के सेवानिवृत्त चेयरमैन और आंध्र प्रदेश सरकार के सलाहकार श्री एन. रंगाचारी ने शिरकत की थी
सिटी यूनियन बैंक लिमिटेड के गौरवशाली इतिहास में, इसके संचालन और प्रगति की लगभग एक तिहाई अवधि प्रमुख व्यक्ति, श्री वी. नारायणन के इर्द-गिर्द केंद्रित रही. श्री वी. नारायणन की जबरदस्त नेतृत्व शैली और सभी क्षेत्रों में बैंक की निरंतर वृद्धि के लिए उनकी दृष्टि, बैंक के बिज़नेस को बढ़ाने में उनके अथक प्रयास, ब्रांच नेटवर्क का विस्तार करना, सामंजस्यपूर्ण औद्योगिक संबंधों को बनाए रखना, हड़ताल की समस्या के चलते एक भी कार्यदिवस न गवांने की उपलब्धि के अनोखे रिकॉर्ड के चलते उन्होंने न केवल अपने लिए बल्कि सम्पूर्ण भारत में बैंकिंग उद्योग में इस बैंक का नाम ऊंचा किया और प्रसिद्धि अर्जित की. उनके प्रसिद्ध शब्द 'बैंक का ख्याल रखना; बैंक आपका ख्याल रखेगा' ने कर्मचारियों का मनोबल ऊंचा करने और उनकी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में चमत्कार किया, जिसकी पुष्टि चेयरमैन के पद पर उनके कार्यकाल के दौरान बैंक के फाइनेंशियल परिणामों से की जा सकती है. लेकिन 5 नवंबर, 2004 को चेन्नई के पास हुई एक अप्रत्याशित कार दुर्घटना में बैंक ने अपने काबिल चेयरमैन श्री वी. नारायणन को सदा के लिए खो दिया.
श्री वी. नारायणन की अपूरणीय क्षति के बाद, उनके सपनों को साकार करने के लिए बैंक के नेतृत्व का जिम्मा श्री एस बालासुब्रहमण्यम पर आ गया, जो 1971 में ऑफिसर के तौर पर बैंक से जुड़े और श्री वी नारायणन की अध्यक्षता में एग्जीक्यूटिव डायरेक्ट पर पदोन्नत हुए. भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बाद बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने उन्हें 31-1-2005 से प्रभावी चेयरमैन और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर बना दिया.
वर्ष 2009 में, भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बाद, बोर्ड ने श्री पी. वैद्यनाथन [ चार्टर्ड अकाउंटेंट, कॉस्ट अकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी] को 27-04-2009 को बैंक का नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और श्री एस. बालासुब्रह्ममण्यम को बैंक का मैनेजिंग डायरेक्टर व चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर नियुक्त किया. श्री पी. वैद्यनाथन ने दो वर्ष पूरे करने के बाद नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के पद से 26-04-2011 को और श्री एस. बालासुब्रह्ममण्यम ने 30-04-2011 को मैनेजिंग डायरेक्टर व चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के पद से त्यागपत्र दे दिया.
भारतीय रिज़र्व बैंक से प्राप्त अनुमोदन के अनुसार श्री एस. बालासुब्रह्ममण्यम M.Sc.PGDFM.CAIIB ने बैंक के नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन के पद का कार्यभार संभाला और डॉ. एन. कामाकोडि B.Tech. MBA. PhD. CAIIB, जिन्होंने जून, 2003 में डेप्यूटी जनरल मैनेजर के पद पर बैंक से जुड़े थे, मार्च, 2005 में जनरल मैनेजर, अक्टूबर, 2006 में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और जनवरी, 2011 में एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट पर पदोन्नत हुए थे, डॉ. एन. कामाकोडि को 01-05-2011 से प्रभावी बैंक का मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर नियुक्त किया गया.